Kya Police par Hath Utha Sakte hai?


पुलिस का गठन आम जनता की सुरक्षा के लिए किया गया है। वह अपराधियों के हौसले तोड़ अमन चैन कायम करने का भी काम करती है। लेकिन कई बार यह होता है कि सत्ता अथवा पैसे के मद में कई लोग अपने रक्षक पुलिस वालों पर ही हाथ उठाने से नहीं चूकते। ऐसे लोगों में कानून का कोई खौफ नहीं होता, जबकि पुलिस पर हाथ उठाना एक बड़ा जुर्म है। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि पुलिस पर हाथ उठाने में कौन सी धारा लगती है? यदि नहीं जानते तो आज इस पोस्ट में हम आपको इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देंगे। आइए शुरू करते हैं-

पुलिस की फुल फॉर्म क्या है? (What is the full form of POLICE?)

आम जीवन में हम लोग कई बार पुलिस (police) शब्द का इस्तेमाल करते हैं। दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि शब्द की फुल फॉर्म क्या है? यदि नहीं तो हम आपको बताते हैं। POLICE की फुल फॉर्म Protection of life in civil establishment है। इसे हिंदी में नागरिक संस्थानों में जीवन की सुरक्षा भी पुकारा जा सकता है। मित्रों, जैसा कि स्पष्ट है, पुलिस (POLICE) शब्द की फुल फॉर्म पुलिस के कर्तव्यों की भी एक झांकी प्रस्तुत करती है।

भारत में पुलिस का गठन कैसे हुआ? (How police formation was done in India?)

मित्रों, क्या आपको पता है कि भारत में पुलिस का गठन कैसे हुआ? यदि नहीं तो भी चिंता ना करें। अब हम आपको भारत में पुलिस गठन के संबंध में विस्तार से जानकारी देंगे। आपको बता दें दोस्तों कि अंग्रेजों द्वारा सन् 1861 के भारतीय परिषद अधिनियम (indian council act) के तहत भारत में सुपीरियर पुलिस सर्विसेज (superior police services) की स्थापना की गई। बाद में इसका नाम बदलकर भारतीय इंपीरियल पुलिस (imperial police of India) कर दिया गया था। इसमें प्रांतीय पुलिस प्रशासन (provincial police administration) के प्रमुख महानिरीक्षक (inspector general) थे।

वहीं, विभिन्न जिलों में बंटे प्रांतों का नेतृत्व पुलिस अधीक्षक (police superintendent) के जिम्मे था।। इसमें भर्ती नामांकन (nomination) के जरिए की जाती थी। यह नामांकन या तो ब्रिटिश सेना (British army) के अधिकारियों का होता था या यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में जमींदारों के बेटों को इसमें नियुक्ति मिलती थी।

अधिकारियों की भर्ती की यह नामांकन प्रणाली बहुत दोषपूर्ण थी। लिहाजा, इसे सन् 1893 में खत्म कर दिया गया। इसके बाद भारतीय पुलिस (indian police) में अधिकारियों की भर्ती (recruitment) के लिए एक संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (combined competitive exam) का आयोजन प्रारंभ किया गया। पहली परीक्षा जून 1893 में लंदन (London) में आयोजित की गई। मेरिट लिस्ट (merit list) के टॉप-10 उम्मीदवारों को भारतीय इंपीरियल पुलिस (imperial police of India) में प्रोबेशन (probation) पर नियुक्त किया गया।

दोस्तों, इसके पश्चात बड़ा कदम उठाया गया, जब 1902-03 में सर एंड्रयू फ्रेजर व लॉर्ड कर्जन Sir (Andrew Fraser and Lord Curzon) की अगुवाई में पुलिस आयोग (police commission) की स्थापना की गई। इस आयोग के द्वारा अधिकारियों के स्तर पर भारतीयों की नियुक्ति की सिफारिश की गई।

आपको बता दें कि इससे पूर्व उन्हें यह इजाजत नहीं थी। भारतीय केवल पुलिस निरीक्षक (police inspector) के पद तक ही पहुंच सकते थे। यह सन् 1920 था, जब भारतीयों को भारतीय इंपीरियल पुलिस का हिस्सा बनने की इजाजत मिली। लंदन और भारत में इसके लिए प्रतियोगी परीक्षाओं (competitive exams) का आयोजन होने लगा। इसके ठीक 12 साल बाद सन् 1932 में इस सेवा का नाम बदलकर सिर्फ भारतीय पुलिस (indian police) कर दिया गया। भारत की आजादी (independence) के बाद सन् 1948 में इंपीरियल पुलिस (imperial police) को औपचारिक रूप से भारतीय पुलिस सेवा (indian police service) यानी आईपीएस (IPS) में तब्दील कर दिया गया।
पुलिस के क्या-क्या कर्तव्य हैं? (What are the duties of police?)

दोस्तों, पुलिस अधिनियम (police act) में पुलिस के अधिकारों के साथ ही उसके कर्तव्य का भी विस्तार से वर्णन किया गया है। पुलिस के मुख्य मुख्य कर्तव्य इस प्रकार से हैं-
  • कानून व्यवस्था (law-order) एवं लोक व्यवस्था (public order) को स्थापित रखना।
  • नागरिकों की जान एवं माल की सुरक्षा करना।
  • अपराध पर नियंत्रण (crime control) रखना।
  • जनता की शिकायतों (complaints) का निवारण (solution) व निस्तारण करना।
  • समाज के सभी वर्गों में सद्भाव कायम रखना।
  • महत्वपूर्ण व्यक्तियों एवं संस्थानों की सुरक्षा को अंजाम देना।
  • क्या पुलिस पर हाथ उठाया जा सकता है? (Can some raise hand on the police?)
यदि आप हम से पूछेंगे कि क्या पुलिस पर हाथ उठाया जा सकता है? तो इसका एक सामान्य सा जवाब है- जी नहीं आप पुलिस पर हाथ नहीं उठा सकते। लेकिन कानून में कुछ ऐसी विशेष परिस्थितियों का भी वर्णन किया गया है, जिनमें आत्मरक्षा के लिए कोई भी व्यक्ति पुलिस पर हाथ उठा सकता है। यह स्थितियां इस प्रकार से हैं-

यदि कोई पुलिसकर्मी आपके शरीर पर बिना वजह के कोई ऐसी गंभीर चोट करता है, जिससे आपके शरीर का कोई अंग खराब हो जाए। मसलन- आपका हाथ टूट जाए अथवा आपकी आंख फूट जाए अथवा आपका कान फट जाए या आपके गुप्तांग पर चोट करके आपको नपुंसक बना दिया जाए या शरीर का कोई जोड़ अलग कर दिया जाए तो आप पुलिस पर आत्मरक्षा (self defence) में हाथ उठा सकते हैं।


इसके अलावा यदि आप पर कोई ऐसी चोट की गई हो, जिससे आपकी जान जाने की आशंका हो अथवा ठीक होने के लिए आपको महीनों तक अस्पताल में रहना पड़ सकता हो तो इस स्थिति में भी आप आत्म रक्षा में पुलिस पर हाथ उठा सकते हैं। दोस्तों, इतना ही नहीं। हाथ उठाने के साथ ही आप आपके साथ ज्यादती करने वाले पुलिसकर्मी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (Indian penal code) यानी आईपीसी (IPC) की धारा 99 के तहत केस भी फाइल करा सकते हैं।

यह धारा आपको आपके बचाव का अधिकार (right) प्रदान करती है। यह धारा मानव अधिकारों की सुरक्षा (safety of human rights) भी सुनिश्चित करते हैं। इसमें साफ किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के साथ लिखित अथवा मौखिक रूप से कोई दुर्व्यवहार करता है तो ऐसे में दूसरे व्यक्ति पर आरोप लगाकर उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही (legal action) की जा सकती है

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